DETAILS, FICTION AND हिंदी कहानियां प्रेरणादायक

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hindi kahaniya

भले ही शेरनी इतनी बड़ी और शक्तिशाली थी, और चूहा इतना छोटा, विनम्र पर साहसी था, चूहे ने दयाभाव दिखाते हुए शेरनी का जीवन बचाया।

राधे गुप्त उन वस्तुओं को सुरक्षित स्थान पर रखते जा रहे थे.

स्त्रेरह बिचिया ल्याई म्हारा बीर-टमरकटूँ

इस तरह बुजुर्ग ने हमारी समस्या हल कर दी.

काफी समय तक निहोरे किये, तब भी व न माना. फिर कुछ समय बाद भैसों का झुण्ड आया. कुरज ने करुण स्वर में विनती की.

सारी स्थति स्पष्ट थी. प्रजापति ने कहा- देवता ही श्रेष्ट हैं जानते हो क्यों ?

इतने में कुछ बच्चे और गुरुजी दौड़ते हुए आए. शीला के साहस की बात चारों और फ़ैल गईं. सभी ने उसकी प्रशंसा की.

महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं.

उन्होंने कहा- ”आप लोग भोजन करे, शर्त यह हैं कि कोहनी को मोड़े बिना भोजन करना हैं” यही बात उन्होंने देवताओं से भी कही.

दोनों जब भोजन से निवृत हुए तो काफी शांत थे. उन्होंने महात्मा जी के चरणों में विनती की- महाराज !

उसने सोचा यह कुरज हमेशा बिगाड़ करती हैं,इसे पकड़ना चाहिए

महात्मा जी को देखकर उनमें से एक व्यक्ति बोला- महात्मन ! हम दोनों भाई हैं. हमारे पिता ने मरते समय अपनी सम्पति का जो बंटवारा किया था, उसके अनुसार इस भूमि का मालिक मैं हूँ, फिर भी यह व्यर्थ में झगड़ा कर रहा हैं.

जब बेटी ने पूछा कि माँ यह अन्य पक्षियों की तुलना में इतना सुंदर घौसला कैसे बनाती है तो माँ ने कहा- यह अपनी पूरी सिद्धत से इस काम में लगी हैं तथा पूर्ण मेहनत और निष्ठां के साथ अपना कार्य करती हैं.

दोनों महात्मा जी के चरणों में गिरकर अपनी गलती की क्षमा मांगी. उसी दिन से सबके साथ प्रेम का व्यवहार करते हुए अपने समय को भजन भक्ति में लगाते हुए अपने जीवन सफल करने लगे.

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